Rajasthan Ke Pramukh Lok Devta। राजस्थान के प्रमुख लोक देवता

Rajasthan Ke Pramukh Lok Devta। राजस्थान के प्रमुख लोक देवता

नमस्कार दोस्तों ,

आज हमारी टीम Rajasthan Ke Pramukh Lok Devtaराजस्थान के प्रमुख लोक देवता के ऊपर विश्तृत अध्याय लेकर आई है जिसके माध्यम से आप अपनी तयारी को बेहतर कर पाएंगे और Rajasthan Ke Pramukh  Lok  Devi Devta  के नोट्स तैयार कर पाएंगे , ही पूरी उम्मीद है Rajasthan Ke Pramukh Lok Devtaराजस्थान के प्रमुख लोक देवता अध्याय आपकी तैयारी में एक महत्वूर्ण कड़ी साबित होगा

 Rajasthan ke pramukh lok devi devta।राजस्थान में लोक देवता

“पाबू हाबू रामदे. मांगलिया मेहा

पीयू पीर पवारणयो, गोगाजी जेा ।।

 

 

Rajasthan Ke panch Peer

पाबू हठबू रामदेवजी, मेहाजी, गोगाजी :- ये 5 पीर है जिन्हें हिन्दु व मुस्लमान दोनों मानते है।

पाबूजी राठोड

राजस्थान के प्रमुख लोक देवता।
Rajasthan Ke Pramukh Lok Devta। राजस्थान के प्रमुख लोक देवता

  • पिता :- धोंधल जी
  • जन्म स्थान :- कोलुमण्ड (बाडमेर)
  • पत्नी :- फूलमदे / सुप्यार दे (अमरकोट के सूजन्नमल पोवा की राजकुमारी
  • घोडी – केसर कालमी (देवल नामक चालमा महिलामा गोही)
  • सहयोगी :- चाँदा तथा डामा (दोनो भील गाव .
  • मेला :- कोलुमण्ड में चैत्र अमावस्या को आयोजित किया जाता है।
  1. देवल नामक चारण महिला की गायों की रक्षा के लिए अपने विवाह के दौरान तीन फेरों
  2. के बाद उठकर आ गये तथा देषु में जींदराब खींची” (जायल) के खिलाफ लड़ते हुये मारे गये थे। ”
  3. पाबूजी को लक्षमण का अवतार माना जाता है।
  4. पाबूजी को ऊँट रक्षक देवता” कहा जाता है।
  5. राईका/देवासी (ऊँट पालने वाली जाति) पाबूजी को अपना प्रमुख देवता मानते है.
  6. पावजी को प्लेग रक्षक देवता” भी कहा जाता है।
  7. पाबूजी ने गुजरात के 7 थोरी (जाति) भाइयों को शरण दी थी।
  8. पाबूजी की फड सबसे लोकप्रिय फड है। भील जाति के भोपे (पुजारी) फड को गाते समय रावणहत्था वाद्य यंत्र बजाते है।
  9. पाबूजी के वीरगाथा गीत पवाडे (भजन) माट वाद्य यंत्र द्वारा गाये जाते है।

पाबूजी से सम्बन्धित पुस्तके :

  1. पाबू प्रकाश :- आशिया मोडजी (इनके अनुसार पाबूजी का जन्म बाड़मेर जिले के जूना ग्राम में हुआ था।)
  2. पाबूजी रा दूहा :- लघराज
  3. पाबूजी रा छन्द :- बीतू मेहा जी
  4. पाबूजी रा रूपक :- मोतीसर बगतावर
  5. पाबूजी के सोरठे :- रामनाथ

 

पाबूजी के व्यक्तित्व की विशेषताएँ :

  1. गौरक्षक
  2. वीरता
  3. ऊँट रक्षक .
  4. त्यागशील
  5. प्लेग रक्षक
  6. वचनबद्धता
  7. अछताद्धारक
  8. शरणागत रक्षक

रामदेवजी तेंवर

 

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  • पिता :- अजमाल जी (पोकरण के सामन्त)
  • माता :- मैंणादे
  • पत्नी :- नेतल दे (अमरकोट के दलेलसिंह सीता की राजकुमारी)
  • मन्दिर :- रूणीचा(रामदेवरा जैसलमेर)
  • गुरू :- बालीनाथ जी (इनका नन्दिर जायपुर की मसूरिया पहाडी पर स्थित है।)
  • घोडा :- लीलो
  • झण्डा :- नेजा
  • जागरण :- जमा
  • मेघवाल भवत – रिखिया
  1. रामदेवरा में परचा बावडी’ है।
  2. रामदेव जी पुस्तक – “चौबीस बाणियाँ
  3. रामदेव जी ने “कामडिया पंथ” की शुरूआत की थी।
  4. कामडिया पंथ की महिलाओं द्वारा “तेरहताली नृत्य किया जाता है।
  5. “भाद्रपद शुक्ल एकादशी को रामदेव जी ने रामदेवरा में जीवित समाधि ली थी।
  6. “भाद्रपद शुक्ल दसमी’ को “डालीबाई” मेघवाल ( रामदेव जी की धर्म बहिन) ने रामदेवरा में समाधि ली थी।
  7. रामदेवजी के मन्दिर में “पगल्ये पूजे जाते है।
  8. रामदेवजी ने पोकरण क्षेत्र में भैरव नामक अत्याचारी का दमन किया था।
  9. रामदेवजी को विष्णु (कृष्ण) का अवतार तथा पीरों का पीर कहा जाता है।
  10. रामदेव जी ने सामाजिक भेदभाव कम करने तथा साम्प्रदायिक सौहार्द बढ़ाने का प्रयास
 
प्रमुख मन्दिर :
  1. रूणीचा – जैसलमेर
  2. पोकरण – जैसलमेर
  3. मसूरिया पहाडी – जोधपुर
  4. हलदिना – अलवर
  5. छोटा रामदेवरा – गुजरात
 

रामदेव जी के व्यक्तित्व की विशेषताएँ :

  1. अछूतोद्धारक
  2. सांप्रदायिक सौहर्द्ध के प्रेरक
  3. प्रजारक्षक
  4. कष्ट निवारक देवता (कुष्ठ रोग)
  5. कवि

गोगाजी :- (गोगाजी चौहान)
 
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  • पिता – जेवर सिंह
  • माता – बाछल दे

 

  1. गोगाजी ने महमूद गजनवी के साथ युद्ध किया था तथा गजनवी ने इन्हें ‘जाहिर पीर’ (साक्षात देवता) कहा था।
  2. अपने मौसेरे भाईयों अरजन व सरजन के खिलाफ गायों की रक्षार्थ युद्ध करते हुये मारे
  3. गये थे।
  4. ददरेवा (चुरू) के मन्दिर को शीर्ष मेडी (सिर कट कर गिरा था) कहते हैं।
  5. गोगामेडी के मंदिर को “धुर मेडी’ कहते हैं।
  6. गोगामेडी का मन्दिर ‘मकबरा शैली में बना आ मन्दिर में बिरिसल्लाह लिखा हुआ है। (गोगाजी के मन्दिर को मेडी कहते है)
  7. खिलेरियों की ढाणी (सांचौर, जालौर) में गोगाजी की ओल्डी बनी हुई है।
  8. “सर्प रक्षक देवता के रूप में पूजे जाते है।
  9. गोगाजी के मन्दिर खेजड़ी के नीचे बनाये जाते है।
  10. कवि मेह ने इन पर गोगाजी क रसावला नामक पुस्तक लिखी।

हडबू जी सांखला

 

  1. जन्मस्थान – भूडल (नागौर)
  2. रामदेवजी के मौसेरे भाई थे।
  3. अपने पिता की मृत्यु के बाद हरभमजाल (जोधपुर) में रहने लगे।
  4. इनके गुरू बालीनाथ जी थे। ।
  5. हडबूजी ‘शकुनशास्त्र (भविष्य वक्ता) के ज्ञाता थे। ।
  6. इन्होंने जोधा को मण्डोर जीतने का आशीर्वाद दिया तथा उसे एक कटार भेंट की थी। ।
  7. मण्डोर जीतने के बाद जोधा ने इन्हें बेंगटी (जोधपुर) गाँव दिया जहाँ पर ये बूढी तथा विकलांग गायों की सेवा करते थे।
  8. जोधपुर महाराजा अजीतसिंह ने यहाँ मन्दिर का निर्माण करवाया।
  9. मन्दिर में “हडबूजी की बैलगाडी की पूजा की जाती है।
  10. हडबूजी की सवारी / वाहन सियार था।

 

मेहाजी मांगलिया

 

  1. मुख्य मंदिर – बापीणी (जोधपर)
  2. इनका मेला कृष्ण जन्माष्टमी को लगता है।
  3. जैसलमेर के “राणगदेव भाटी के खिलाफ युद्ध में लड़ते हुए मारे गये थे.
  4. इनके घोडे का नाम – किरड काबरा
  5. इनके भोपों के वंश वृद्धि नहीं होती है, ये सन्तान को गोद लेकर बंश आगे बढ़ते हैं।

तेजाजी :- (पाँच पीर में तेजाजी का नाम नहीं आता)

 

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  • खरनाल (नागौर) में एक जाट परिवार में जन्म हुआ था।
  • पिता – ताहर जी
  • माता – रामकुंवरि
  • पत्नी – पेमलदे
  • घोड़ी – लीलण
  • पुजारी / भोपा – घोडला

  1. तेजाजी अपनी पत्नी को लाने अपने ससुराल पनेर (अजमेर) जा रहे थे।
  2. सुरसुरा अजमेर) नामक गाँव में लाछा नामक गुर्जर महिला की गायों को बचाते हुए घायल हुये तथा एक सौंप के काटने से इनकी मृत्यु हो गई थी।
  3. तेजाजी ‘सर्परक्षक देवता के रूप में पूजे जाते है।
  4. इन्हें ‘कालाबाला का देवता भी कहा जाता है। (कालाबाला-बीमारी)
  5. हल जोतते समय किसान तेजाजी के गीत गाते है।
  6. 2010 ई. में तेजाजी पर राजस्थान सरकार द्वारा डाक टिकट जारी किया गया।
  7. इनकी घोड़ी लीलण के नाम पर राजस्थान में एक रेलगाड़ी चलती है।

किताब-

  1. जुझार तेजा (लज्जाराम मेहता)
  2. तेजाजी रा घ्यावहला (वंशीधर शमा)

 

मुख्य मंदिर – परबतसर (जोधपुर महाराजा अभयसिंह के समय में बनवाया गया)

अन्य मंदिर –

  1. सैंदरिया (अजमेर में)
  2. भांवता (अजमेर में)
  3. पनेर (अजमेर में)
  4. बासी- दुगारी (बूंदी में)

 

देवनारायण जी (औषषि का देवता )

  • जन्म स्थान – आसीन्द (मीलवाडा)
  • इनका जन्म बगडावत गुर्जर परिवार में हुमाया
  • पिता – सवाई भोज
  • माता – सेदू
  • पत्नी – पीपलदे
  • मेला :- भाद्रपद शुक्ल सप्तमी .

  1. इन्हें विष्णु भगवान का अवतार माना जाता है।
  2. इन्हें ओषधि का देवता कहा जाता है।
  3. इनके मन्दिर में नीम के पत्ते चढाये जाते है।
  4. इनके मन्दिर में मूर्ति नहीं होती बल्कि ईंटो की पूजा की जाती है।
  5. देवनारायण जी की फड सबसे लम्बी फड है।
  6. गुर्जर भोपो द्वारा “जन्तर वाद्य यंत्र के साथ इसे गाया जाता है।
  7. इस फड पर डाक टिकट जारी हो चुका है।
  8. देवनारायण जी स्वयं पर भी डाक टिकट जारी हो चुका है।

मुख्य मन्दिर

  1. आसीन्द (भीलवाडा)
  2. देवधाम – जोधपुरिया (टोंक)
  3. देवमाली – ब्यावर (अजमेर)
  4. देव डूंगरी – चित्तौड़ (रांगा सांगा द्वारा निर्मित)
 

देव बाबा

  • मुख्य मन्दिर – नंगला जहाज (भरतपुर)
  • मेले –

    1. भाद्रपद शुक्ल पंचमी (ऋषि पंचमी के दिन)
    2. चैत्र शुक्ल पंचमी

  • देव बाबा पशु चिकित्सक थे।
  • इन्हें खुश करने के लिए 7 ग्वालो को भोजन करवाना पड़ता है।

मल्लीनाथ जी

  • ये “मारवाड के राठौट राजा थे। इन्होंने सुल्तान फिरोज तुगलक के मालवा के गर्वनर (निजामुद्दीन) को पराजित किया था
  • इनकी रानी रुपादे लोक देवी जिनका मन्दिर मालाजील (बाडमेर) में हैं।
  • गुरु – उगम सिंह भाटी
  • मुख्य मन्दिर -निष्पाला (बाहर). यहाँ पर होली दिन से शुरू होकर 15 दिन तक (चैत्र कृष्णा एकादशी से शुक्ल एकादशी ) मल्लीनाथ पशु मेला’ चलता है।
  • मल्लीनाथ भविष्य वक्ता थे।
  • इन्होंने समाज में छुआछूत एवं भेदभाव को मिटाने का प्रयास किया।
  • इन्होंने 1399 ई. में मारवाड़ में बहुत बड़े हरि कीर्तन का आयोजन करवाया था।

 

तल्लीनाथ जी:- (गोगादेव राठौड़)

  • इनका वास्तविक नाम – गोगादेव राठौड था।
  • ये शेरगढ (जोधपुर) के सामंत थे।
  • गुरू – जलंधर नाथ
  • मुख्य मन्दिर – पांचोटा (जालौर)
  • इन्हें ‘ओरण का देवता कहा जाता है।
  • ओरण – मन्दिर के आस-पास छोडी गई जमीन जहाँ से पेड-पौने नही काट सकते।

 

बिन्गा जी

  • मुख्य मन्दिर – रीठी (बीकानेर)
  • गायों की रक्षा करते हुए शहीद हो गये थे।
  • ये जाखड समाज के कुल देवता है।

 

हरिणम जी

  • मुख्य मन्दिर – झोरडा (नागौर)
  • मेला – भाद्रपद शुक्ल पंचमी
  • सर्प रक्षक देवता के रूप में पूछे जाते है।
  • मंदिर में “साप की बांबी की पूजा की जाती है।

 

केसरिया कुंवरजी

  • गोगाजी के बेटे
  • इन्हें भी सर्प रक्षक देवता के रूप में पूजा जाता है।

 

झरड़ा जी

  • पाबूजी के मातील थे।
  • जीवनाव खींची (जायल का राजा) को मारकर अपने पिता व चाचा की हत्या का बदला लिया।
  • मन्दिर –
    1. कोलुमण्ड (जोधपुर)
    2. सिंभूदडा (बीकानेर)
  • इन्हें रूपनाथ भी कहा जाता है।
  • हिमाचल प्रदेश में इन्हें ‘बालकनाथ” कहा जाता है।

जुंझार जी

  • जन्म स्थान – इमलोहा (सीकर)
  • स्यालोदडा (सीकर) गाँव में गायों की रक्षा करते हुए मारे गये थे।
  • “स्यालोदडा मंदिर में दुल्हा-दुल्हन तथा इनके 3 भाईयों की मूर्तियों बनी हुई है।
  • रामनवमी के दिन यहाँ पर मेला लगता है।

 

मामादेव

  • ये ‘बरसात के देवता है।
  • इनका मन्दिर नहीं होता है बल्कि गाँव से बाहर इनके तोरण की पूजा की जाती है।
  • इन्हें खुश करने के लिए भैसें की बलि देनी पड़ती है।

 

वीरफता जी

  • मुख्य मन्दिर – सांथू(जालौर)
  • भाद्रपद शुक्ल नवमी को इनका मेला लगता है।

 

आलम जी

  • मुख्य मन्दिर – धोरी मन्ना (बाड़मेर)
  • आलम जी को “अश्व रक्षक देवता कहा जाता है।
  • आलम जी जैतमालोत राठौड़ थे।

 

डूंगजी – जवाहर जी

  • ‘बाठोठ-पाटोदा (सीकर) गांव के सामन्त थे।
  • कालान्तर में ये जमीरों की लूट कर उनका धन गरीबों में बाँट दिया करते थे।
  • प्रमुख सहयोगी – लातूजी निठारवाल, करमाजी मीणा, बालूजी नाई. सांखूजी लोहार
  • इन्होने अंग्रेजो की आगरा की जेल तथा नसीराबाद छावनी लूट ली थी।

 

खेतला जी

  • मुख्य मन्दिर – सोनाणा (पाली)
  • मेला – ‘चैत्र शुक्ल एकम” को मेला लगता है।
  • यहाँ पर हकलाने वाले बच्चों का इलाज होता है।
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