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मेरे सभी प्यारे वेबसाईट दर्शकों को मेरा प्रेम भरा नमस्कार, आप सभी की इच्छा को नजर मे रखते हुए हम आपके लिए bhagvat geeta book pdf लेके आए है, ऐसा माना जाता है की bhagavad gita book pdf महाभारत युद्ध के समय भगवान कृष्ण के द्वारा अर्जुन को दिया गया ज्ञान है, इसी ज्ञान को bhagvat geeta book pdf के रूप मे समाहित किया गया।

Bhagvat geeta book pdf
भगवद्गीता किसी भी आम नागरिक के लिए काफी महत्वपूर्ण ग्रंथ है इसके माध्यम से सामान्य इंसान असीम ज्ञान अर्जित कर सकता है और अपनी बुद्धि का विकास कर सकता है ऐसा माना जाता है की केवल भगवद गीता को पढ़कर व्यक्ति सम्पूर्ण 4 वेदों का ज्ञान प्राप्त कर सकता है, केवल भागवत गीता मे 4 वेदों का ज्ञान समाहित है ।
Bhagvat Geeta Book Details
नाम | Bhagvat Geeta Book |
आकार | 4 MB |
गुणवता | अच्छा |
लेखक | वेदव्यास जी |
भाषा | हिन्दी |
Bhagvat geeta book pdf Download
Bhagvat geeta book pdf download करने के लिए आपको डाउनलोड बटन पर क्लिक करना है कुछ समय मे पीडीएफ़ डाउनलोड हो जाएगी।
Bhagvat geeta book का परिचय
श्रीमद्भगवद्गीता (Bhagavad Gita) हिन्दू धर्म के एक प्रसिद्ध ग्रंथ है। यह महाभारत महाकाव्य के अंश के रूप में मिलता है। इसमें कृष्ण और अर्जुन के बीच होने वाले एक वाक्यांशों की वाणी विवरण किए गए हैं। इसका महत्व परमात्मनी, धर्म, अधिकार, जीवन के लक्षणों और अधिकांश प्रश्नों पर निर्भर करता है। गीता दूसरों के बीच आध्यात्मिकता, कर्तव्य, नैतिकता और अस्तित्व की प्रकृति के विषयों को शामिल करती है, और इसे आत्म-साक्षात्कार और सत्य की तलाश करने वाले व्यक्तियों के लिए ज्ञान और मार्गदर्शन का स्रोत माना जाता है।
Bhagvat geeta book pdf topic
bhagavad gita book pdf मे निम्नलिखित अध्यायों को शामिल किया गया है।
- आध्याय एक:- कुरुक्षेत्र के युद्धस्थल मे सैन्य निरीक्षण
- आध्याय दो :- गीता का सार
- आध्याय तीन :-कर्मयोग
- आध्याय चार :- दिव्य ज्ञान
- आध्याय पाँच :- कर्मयोग
- आध्याय छः :- ध्यान योग
- आध्याय सात :- भगवद ज्ञान
- आध्याय आठ :- भगवतप्राप्ती
- आध्याय नव :- परम गुह्य ज्ञान
- आध्याय दस :- श्रीभगवान का एषवर्य
- आध्याय गयाहरह :- विराट रूप
- आध्याय बारह :- भक्ति योग
- आध्याय तेरह :- प्रकृति, पुरुष तथा चेतना
- आध्याय चौदह :- प्रकृति के तीन गुण
- आध्याय पंद्रह :- पुरुषोत्तम योग
- आध्याय सोलह :- दैवी तथा आसुरी स्वभाव
- आध्याय सत्रह :- श्रद्धा के विभाग
- आध्याय अठारह :- उपसंहार- सन्यास की सिध्दी
Bhagvat Geeta Book Important Facts
महाभारत महाकाव्य मे कुल 18 पर्व है जिसमे bhagavad gita छठे पर्व भीष्म पर्व का एक भाग है, भगवद्गीता मे इंसान के कर्मों और कर्तव्यों पर विशेष ध्यान केंद्रित किया है, प्रत्येक मनुष्य और जीव यह विषर करता है की उसका आने वाला भविष्य कैसा होगा,और प्रत्येक व्यक्ति इसका जवाब भी भलीभाती जनता है, bhagavad gita book के अनुसार जीव जेसे कर्म करता है, उसे उसके अनुसार ही फल की प्राप्ति होती है, यदि वो ’ स्व ’ की भावना रखता है और कुकर्म करता है तो उसके परिणाम स्वरूप उसका आने वाला भविष्य भी अंधकार मे समाहित हो जाता है, इसलिए bhagavad gita मे सुकर्मों और परहित विचार रखने पर जोर दिया गया है।
परहित और स्वहित का अर्थ
यदि इंसान स्व की इच्छाओ और सव्य के जीवन के सुख के बारे मे सोचता है तो उसके कर्मों के आधार पर उसे फल की प्राप्ति भी वेसी ही होती है, भगवदगीता मे परहित के विचार पर विशेष बल दिया है , इंसान का कर्तव्य होता है वह अपने माता – पिता, भाई – बहिन का ध्यान रखे उसका ये कर्तव्य यही समाप्त नहीं होता, प्रत्येक इंसान का कर्तव्य उसके समाज के प्रति, देश के प्रति यहा तक की किसी ना किसी रूप मे सम्पूर्ण सरासर जगत के प्रति होता है, यदि वह अपने कर्तव्य का पूरी निष्ठा से पालन करता है, तो उसका जीवन सुखद होता है।
स्वहित की भावना
स्वहित की भावना रखने वाला इंसान इस जगत की भौतिक वस्तुओ का अपने विलाश और समृद्धि के लिए अति दोहन करता है जिससे सामान्य जनता को उसका लाभ नहीं मिल पाता, आज भी शोषित समाज और अधिक शोषित होता जा रहा है, स्वहित की भावना वाला इंसान लिप्सा मे मगन सव्य का ही लाभ देखता है।
bhagavad gita book के अन्य महत्वपूर्ण पहलू
Bhagvat Geeta Book मे ध्यान योग पर विस्तार से वर्णन किया है तथा उसके लाभ बताए गए है, इसके साथ ही bhagavad gita book मे भक्तियोग, पुरुषोत्तम योग, भगवद ज्ञान ,कर्मयोग तथा दिव्य ज्ञान का उलेख किया गया है।
निष्कर्ष:
आज के इस आर्टिकल मे हमारी टीम ने bhagavad gita book की पीडीएफ़ उपलबद्ध करवाई है और उसकी महत्वता को विस्तार से बताया है, हमे उम्मीद है आपकी उम्मीद पूरी हो चुकी होगी किसी भी प्रकार की सलाह या शिकायत के लिए आप हमे कमेन्ट कर सकते है। धन्यवाद।
अधिकतम लाभ के लिए श्रीमद भगवत गीता का पाठ कैसे करें?
- Bhagvat Geeta Book बहुत ही पवित्र ग्रंथ है। इसे कभी भी गंदे हाथों से न छुएं। सुबह उठकर स्नानदि करने के पश्चात गीता का पाठ करें।
- Bhagvat Geeta Book का पाठ करने से पहले चाय, कॉफी, पानी या अन्य किसी भी चीज का सेवन न करें तो ही बेहतर रहेगा।
- पाठ आरंभ करने के पहले भगवान गणेश और श्री कृष्ण जी का ध्यान करें।
- Bhagvat Geeta पढ़ने से पहले उस विशेष अध्याय का गीता महात्म्य अवश्य पढ़ें।
- Bhagvat Geeta Book पढ़ते समय पूर्ण ध्यान लगाएं। पाठ करते समय बीच में किसी से बातचीत न करें।
- Bhagvat Geeta का पाठ करने के लिए एक ऊनी आसन लें। उसी आसन पर प्रतिदिन पाठ करें।
- यदि आप गीता का पाठ करते हैं तो स्वयं ही उसके रख-रखाव और साफ-सफाई का ध्यान रखें।
- प्रतिदिन एक निश्चित समय और निश्चित स्थान पर ही गीता का पाठ करें। कम से कम जो अध्याय शुरू किया है उसे समाप्त करके ही उठें।
गीता के 18 अध्यायों के नाम क्या है ?
- प्रथम अध्याय – ‘अर्जुन का विषाद योग’।
- द्वितीय अध्याय – ‘सांख्य योग’ (ज्ञानयोग) ।
- तृतीय अध्याय – कर्मयोग।
- चतुर्थ अध्याय – ‘ज्ञानकर्मसंन्यासयोग’ ।
- पंचम अध्याय. – ‘कर्मसंन्यासयोग’ ।
- षस्ट अध्याय – ‘आत्मसंयम योग’।
- सप्तम अध्याय – ‘ज्ञान विज्ञान योग’।
- अष्टम अध्याय – ‘अक्षरब्रह्म योग’।
- नवम अध्याय – ‘राजविद्याराजगुह्ययोग’।
- दसम अध्याय – ‘विभूतियोग’।
- एकादश अध्याय – ‘विश्वरूपदर्शन’।
- द्वादश अध्याय – ‘भक्तियोग’।
- त्रयोदश अध्याय – ‘क्षेत्रक्षत्रविभागयोग’.
- चतुर्दश अध्याय – ‘गुणत्रयविभागयोग’।
- पंचदश अध्याय – ‘पुरूषोत्तमयोग’।
- षोडस अध्याय – ‘दैवासुरसंपद्विभागयोग’।
- सप्तदश अध्याय – ‘श्रद्धात्रयविभागयोग’।
- अष्टादश अध्याय – ‘मोक्षसंन्यासयोग’।
गीता पढ़ने का महत्व और यह आपको कैसे प्रेरित कर सकता है ?
- Bhagvat Geeta Book के नियमित पाठ से हमारा मन शान्त रहता है।
- हमारे अंदर के सारे नकारात्मक प्रभाव नष्ट होने लगते हैं।
- हमारे सोचने और समझने की शक्ति में बृद्धि होने लगती है
- सभी प्रकार की बुराइयों से दूरी खुद-ब-खुद बनने लगती है।
- हमारे अंदर का सारा भय दूर हो जाता है और हम निर्भय बन जाते हैं।